
लोकगीत : देवी-देवता मूलक लोकगीत :
देवी देवताओं के विशिष्ट गीत मुख्यत: मेलों से संबंध रखते हैं। इन मेलों में
द्वाराहाट का स्याल्दे मेला, मासी का सोमनाथ मेला, देवीधुरा में वाराही देवी
का मेला, अल्मोड़ा-नैनीताल का नंदादेवी मेला, बागेश्वर का उत्तरायणी मेला,
काशीपुर का चैती मेला आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। देवी-देवता मूलक
गीतों को दो भागों में विभाजित किया जाता है
नंदादेवी को कुमाऊँ की जातीय देवी माना जाता है। भाद्र शुक्ल अष्टमी को आयोजित होने वाले नंदादेवी के मेलों में हर्षाेल्लास का वातावरण छाया रहता है। देवी के कौतिक अर्थात् मेले में उनके वस्त्राभूषणों का बखान करने वाला एक गीत इस प्रकार है –
छिला कारी कुरी कुटेलीक छाली छ बेन
छिला नंदा क कौतिक हुंछ बरस दिन
छिला पारी कोट बुंग मांज हुड़की के
बाज
छिला नंदा को अस्टमी ऐं छ बरस दिन
छिला रूपस्या आंगुली मांज मुनरी के
छाज
छिला रूपस्या गड्यारी मांज नेवर के
छाज
छिला सपूर कमर मांज पटुक के छाज
छिला रूपस्या अंगिया मांज मखिया के
छाज A