गजल: होगा:

न लहरों पे होगा न धारे पे होगा
जो डूबेगा इक दिन किनारे पे होगा
बहुत सूनी-सूनी हैं जीवन की राहें
सफर तय ये किसके सहारे पे होगा
मेरे चाहने से नहीं होगा कुछ भी
जो होगा उसी के इशारे पे होगा
ये तकदीर तदबीर से भी बड़ी है
इसी से भरोसा सितारे पे होगा