गीत: हुण चैं:

ब्योहार यथोचित हुण चैं
घरबार नियोजित हुण चैं
म्यर गौं वाल अक्सर कूनी
जे सिर देलो सेर लगै देलो
जे अब तक दिनौं सबौ खन
उ ऐंली बेर लगै देलो
लंकिन सौ बीमारौ मैं
एक्कै अनार कसिकै होलो
हर पढ़ी लेखी अब कूनौ
सबनौक समान हित हुण चैं
ब्योहार यथोचित हुण चैं
घरबार नियोजित हुण चैं
मानव की आवश्यकता पुरि
करनेर साधन कम छन
अति सर्वत्रै वर्जित छ
मर्यादित हुण चैं जीवन
तन मन मैं और प्रकृति मैं
विज्ञान संतुलन मांगणौ
हर घर मैं हो हर सुविधा
हर व्यक्ति प्रफुल्लित हुण चैं
ब्योहार यथोचित हुण चैं
घरबार नियोजित हुण चैं