
लोकगाथा: गौरा महेष्वर 4
हिन्दी रूपान्तर
नींबू की डाल में रात्रिवास किया बसुधारा में साँझ हो गई।
तेरी नींबू डाल (को) अभी काटती हूँ कल (ही) सुखाती हूँ वसुधारा।
दाड़िम की डाल में रात्रिवास किया, वसुधारा में ही साँझ हो गई।
तेरी दाड़िम डाल (को) अभी काटती हूँ, कल (ही) सुखाती हूँ बसुधारा।
भूमि के स्वामी भूमेश्वर हैं, आकाश के महेश्वर और पाताल के कालीनाग।
दीदी गौरा, महेश्वर को कहाँ छोड़ आई हो, कहाँ छोड़ आई महेश्वर को?
महेश्वर केदारनाथ में हैं गौरा दीदी, महेश्वर केदारनाथ में हैं।
भूमि में भूमेश्वर हैं, स्वर्ग में महेश्वर और पाताल में कालीनाग।
महेश्वर को कहाँ छोड़ आई गौरा दीदी, महेश्वर को कहाँ छोड़ आई।
महेश्वर तिरयुगी नारायण में हैं गौरा दीदी, महेश्वर तिरुगी में हैं।
भूमि में भूमेश्वर हैं, स्वर्ग में महेश्वर और पाताल में कालीनाग।
महेश्वर को कहाँ छोड़ आई गौरा दीदी, महेश्वर को कहाँ छोड़ आई।
महेश्वर उरवीमठ में हैं गौरा दीदी, महेश्वर उरवीमठ में हैं।
भूमि में भूमेश्वर हैं, स्वर्ग में महेश्वर और पाताल में कालीनाग।
महेश्वर को कहाँ छोड़ आई गौरा दीदी, महेश्वर को कहाँ छोड़ आई।
महेश्वर तुँगनाथ में हैं गौरा दीदी, महेश्वर तुँगनाथ में हैं। क्रमशः