
लोकगीत : अन्य :
कुमाऊं में विभिन्न ॠतुओं के आगमन पर गाए जाने वाले गीतों
के विशिष्ट नाम सुनने को मिलते हैं; जैसे- कफलिया, हिनौल, रूड़ी
आदि।
लोकविदों का मानना है कि काफल पकने वाली ॠतु में कफलिया; शीत
ॠतु में हिनौल तथा ग्रीष्म ॠतु में रूड़ी नामक गीत गाए जाते
होंगे। ग्रीष्म
ॠतु का वर्णन करने वाले गीत पिथौरागढ़ में अधिक प्रचलित हैं
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गैला पातला न्योली बासैंछ
घामिलो दिन उदास लागौंछ
गैला पातला मुंगरैयौ पानी
मेरी बिलानी न्योली बासैंछ
घामिलो दिन उदास लागौंछ
गैला पातला हिसालू केड़ी
तेरी नराया रूमालै फेड़ी
रूमालै फेड़ी न्योली बासैंछ
घामिलो दिन उदास लागौंछ
गैला पातला घा छ बसीलो
तेरो हिट्यां को बाटो रसीलो
बाटो रसीलो न्योली बासैंछ
घामिलो दिन उदास लागौंछ