लोकगीत : छलड़ी :

होलिका दहन से चार-पांच दिन पहले
अधिक लोगों के सम्मिलित हो जाने के
कारण –
गावें खेलें देंय असीस ..हो हो हो लख रे
बरस दिवाली बरसै फाग ..हो हो हो लख रे
आज को बसंत कैका घर ..हो हो हो लख रे
आई बसंत कृष्ण ज्यू का घर ..हो हो हो लख रे
श्री कृष्ण महाराज जी रौ लाख बरीस..हो हो हो लख रे
यनरौ पूत परिवार जी रौ लाख बरीस..हो हो हो लख रे
यनरौ भरी रौ अन्न-धन ले कुठार..हो हो हो लख रे