लोकगीत : बैठी होली :
बैठी होली या बैठकी होली रात में
घर में बैठ कर गाई जाती है।
गायन के हिसाब से ये खड़ी होली की अपेक्षा कठिन होती हैं।
शास्त्रीय रागों
पर आधारित होने के कारण इन्हें गाने वाले कम मिलते हैं, लेकिन
इन्हें
सुनने में जो आनंद प्राप्त होता है, उससे कोई वंचित नहीं रहना चाहता।
इसलिए बैठकी होलियों में आबाल-वृद्ध नर-नारियों का उपस्थित
होना
स्वाभाविक ही है।
तुम सिद्धि करो महाराज होली के दिन
में
सिद्धि को दाता बिघन बिनासन
होली खेलै गिरिजा को नंदन
संभु को नंदन मूसा को बाहन
होली खेलै गिरिजा को नंदन
राम लछीमन भरत सतरूघन
रघुकुल के सिरताज होली के दिन में
तुम सिद्धि करो महाराज होली के दिन में
ब्रह्मा बिस्नु महेस मनाऊं
हो हमरे सिरताज होली के दिन में
हमरी राखो लाज होली के दिन में
तुम सिद्धि करो महाराज होली के दिन में A