सिनेमा: विषयवस्तु:
इंपीरियल कंपनी की प्रतिद्वन्द्विता में स्थापित चन्दू लाल शाह की रणजीत मूवीटोन ने मिथक, ऐतिहासिक, एक्शन तथा टाॅपिकल्स यानी सुधारवादी फिल्मों का निर्माण शुरू किया। इस बैनर की लोकप्रिय फिल्मों में देवी देवयानी – 1931, सती सावित्री – 1932 और बैरिस्टर्स वाइफ – 1935 प्रमुख मानी जाती हैं।
कोल्हापुर के वी. शान्ताराम, विष्णुपंत दामले, फत्तेलाल और बाबूराव पेंढारकर की साझीदारी में स्थापित प्रभात कंपनी ने भी अनेक महत्वपूर्ण फिल्मों का निर्माण किया, जिनमें से विष्णुपंत दामले-फत्तेलाल द्वारा निर्देशित संत तुकाराम – 1935, संत ज्ञानेश्वर – 1940 ;बाबूराव पेंढारकर द्वारा निर्देशित अयोध्या का राजा – 1932, छाया – 1936, धर्मवीर – 1937, तथा वी. शांताराम द्वारा निर्देशित अमर ज्योति – 1936, दुनिया न माने / आदमी – 1937 और पड़ोसी – 1941 को हिंदी सिनेमा प्रेमियों ने काफी पसंद किया। इनमें से अमरज्योति अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में दिखाई जाने वाली पहली फिल्म थी।
जे. वी. एच. वाडिया तथा होमी वाडिया द्वारा 1933 में स्थापित वाडिया मूवीटोन ने हिंदी में स्टण्ट फिल्मों का निर्माण प्रारंभ किया। इनकी शुरुआत हंटरवाली – 1934 से हुई, जिसकी हीरोइन नादिया को उसके हैरत अंगेज कारनामों की वजह से ‘निर्भीक नादिया’ का खिताब दिया गया। इसके अलावा होमी वाडिया के निर्देशन में बनी फिल्मों में मिस फ्रंटियर मेल – 1936, पंजाब मेल – 1939, डायमण्ड क्वीन – 1940 के नाम विशेष रूप से याद किए जाते हैं ; जो अपनी अद्भुत शैली के कारण एक खास तबके में काफी सराही गईं।