गजल: कदर :
जो बेषर्मी के साथ ग़लत बात को सही कर सकते हैं
बिना जंगल वाली दुनिया में बसर वही कर सकते हैं
अंधेरे में खुद से लड़ने की ताकत होती है जिनमें
बिना षम्मअ वाली रातों की सहर वही कर सकते हैं
खुदी पर और खुदा पर सदा भरोसा होता है जिनमें
बिना मंजिल वाले रस्ते का सफर वही कर सकते हैं
गुलों का इंतजार करने का धीरज होता है जिनमें
बिना पत्ते वाले पेड़ों की कदर वही कर सकते हैं