उत्तराखण्ड: शब्दावली:

उत्तराखण्ड: शब्दावली:

कुमाऊं पर मुसलमानों का षासन कभी नहीं रहा, पर कुमाऊं के राजाओं के मुगल दरबार दिल्ली के साथ अच्छे संबंध थे। कुमाऊं के कुछ राजाओं ने अपने दरबारों में मुगलिया परंपरानुसार जो रिवाज अपनाए थे, उनके अनुकूल कई कर्मचारी भी नियुक्त किए थे।

इस प्रक्रिया में कुमाऊं के राजदरबारों मंे अरबी-फारसी-तुर्की के षब्दों का समाविष्ट होना अस्वाभाविक नहीं। इसके अतिरिक्त जो मुसलमान व्यापार या अन्य किसी कारण से कुमाऊं आए और यहीं बस गए, उनके वंषजों की बोलचाल के माध्यम से भी कुमाउनी में उर्दू का प्रभाव पड़ता और बढ़ता रहा।

जिस तरह मुगल षासन काल में अरबी-फारसी के बहुप्रचलित षब्द हिंदी की बोलियों में पचते रहे, उसी तरह अंग्रेजों के षासन काल में अंग्रेजी के रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाले तमाम षब्द अन्य बोलियों का तरह कुमाउनी में भी घुलते-मिलते रहे। कुमाउनी के लिखित साहित्य के प्रचार-प्रसार में अल्मोड़ा अखबार, अचल, कुमाऊं कुमुद तथा षक्ति नामक पत्र-पत्रिकाओं का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है।

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Published by

Dr. Harishchandra Pathak

Retired Hindi Professor / Researcher / Author / Writer / Lyricist

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