गजल: आज तक
हम जिनके तसव्वुर में नहाए हैं आज तक
बादल वो आसमाँ पे न छाए हैं आज तक
उनका मिज़्ााज देख के अब टूटने लगी
हम उनसे जो भी आस लगाए हैं आज तक
हमने ही इन्तज़्ाार किया उनका हमेशा
क्या वो भी कभी वक्त पे आए हैं आज तक
जो बात याद करने की पफुरसत नहीं उन्हें
उस बात को हम भूल न पाए हैं आज तक