लोकगीत : विषयवस्तु :
तन को रंग और मन को उमंग से भर
देती है होली। कुमाऊँ
की होलियों में ब्रज का प्रभाव अधिक है। ठेठ कुमाउनी भाषा
में उपलब्ध
होली के गीत बहुत कम हैं। गणेश, पार्वती, शिव की प्रार्थना; सीताराम
और राधाकृष्ण द्वारा रंग खेले जाने का वर्णन; परदेसी
पति की प्रतीक्षारत
नवयौवना की भावनाएं; देवर-भाभी की चेष्टाएं इन होलियों
के विषय हैं।
तू करि ले अपनो ब्याह
देवर हमरो भरोसो झन करिए
मैले बुलाए एकीलो हो एकीलो तू ल्याए जन चार
देवर हमरो भरोसो झन करिए
मैले बुलाए बागा में हो बागा में तू आए घर बार
देवर हमरो भरोसो झन करिए
मैले मंगायो लहंगा रे लहंगा तू ल्याए बेसनार
देवर हमरो भरोसो झन करिए
तू झन करिए एतबार
देवर हमरो भरोसो झन करिए