उत्तराखण्ड: नमूने:
साहित्य के माध्यम से भाषा के विकास की दृष्टि से इनका योगदान सराहनीय माना जाता है। इनकी रचनाओं के कुछ नमूने द्रष्टव्य हैं –
दिन-दिन खजाना का भार बोकणा ले,
षिव-षिव चुलि मैं का बाल नै एक कैका।
तदपि मुलुक तेरो छोड़ि न कोई भाजा,
इति वदति ‘गुमानी’ धन्य गोरखाली राजा।। – गुमानी
मुलुक कुमाऊं में कफुआ बासो,
ज्वेकन है गयो खषम को झांसो।
हौसिया यारो कलजुग आलो,
च्यालाक हात बाबु मार खालो।। – कृष्ण पाण्डे
भाबर में नांगर जस भरी रूंछ पेट।
ल्वे मांस षुकी जांछ बड़ी जांछ रेट।। – षिव दत्त सती
तन्खा लिन्हीं, नी करना काम।
टी0 ए0 मोटर को आराम।।
फाइलन में छन फीता लाल।
एसिक पैं सब करनी हलाल।। – ष्यामाचरण दत्त पंत
सार जंगल में त्वे ज क्वे न्हा रे क्वे न्हा।
फुलन छै कि बुरूंष जंगल जस जलि जां।। – सुमित्रानंदन पंत