लोकगाथा: गौरा महेष्वर 6
पीला रंगन फूलिए डाली नीला रंगन पाके।
तेरा फल किरमोड़ि डाली ग्वाला लोग रे खाला।
बाटा में की हिसालु डाली भ्यर मैत जान्या बाटो काँ हो?
दैनुँ बाटो जालो डोटि का गढ़ बों बाटो त्यर मैत जालो।
गुप्फा रंगन फूलिए डाली त्वप्पा रंगन पाके।
तेना ग्वप्फा हिसालु डाली चेली-बेटि रे खाला।
धार में की सल्ला की डाली म्यर मैत जान्या बाटो काँ हो?
आपनें रूराट आपने फूफाट की जाणूँ त्यर मैत बाटो।
धिक्कार त्वे सल्ला की डाली एकै जन्मनि जन्मे।
हरिया वरन फूलिए डाली सूखा रंगन पाके।
तेरा फल सल्लाकि डाली सूकी धरति झड़ला।
गैलि गुघेरी द्यारि को रुख भ्यर मैतक जान्या बाटो काँ हो?
यो होलो तेरो मैतुड़ा देश तू मेरि लाड़िलि चेलि।
इतुक पुछना गँवरा दीदी मैतुड़ा पुजि गैंन।
ए भुख भदो त गँवरा मैत ऐछ-
जेठ ऊँरनी त उमियाँ बुकूँनी।
क्रमशः