लोकगीत : होली :
इनमें होली के अवसर पर गाई जाने वाली प्रेम या भक्ति
से सराबोर रचनाएं आती हैं। फाल्गुन मास की एकादशी को
चीर बंधन होता है। इस दिन मंदिर या फिर गांव के प्रधान
के घर के सामने बने चबूतरे में एक खंबा गाड़कर उसके ऊपर
कई रंग के कपड़े बांधे जाते हैं। इसे बहुत ही पवित्र माना जाता
है। इस चीर के आसपास ही होल्यार होली गीत गाते हैं –
को ए उ बांधनि चीर रघुनंदन राजा
को ए उ खेलनि फाग रघुनंदन राजा
गणपति बांधनि चीर रघुनंदन राजा
रिद्धि सिद्धि खेलनि फाग रघुनंदन राजा
ब्रह्मा विष्णु बांधनि चीर रघुनंदन राजा
सावित्री खेलनि फाग रघुनंदन राजा
रामिचंद बांधनि चीर रघुनंदन राजा
सीता खेलनि फाग रघुनंदन राजा