गजल: बाकी है:
अभी तो रात के जाने में वक्त बाकी है
अभी चिराग बुझाने में वक्त बाकी है
हरेक ख़्वाब हकीकत में बदल जाएगा
अभी नसीब जगाने में वक्त बाकी हैं
तुम अपने दिल के यकीनों को न मायूस करो
उस आफताब के आने में वक्त बाकी है
जहाँ पे अश्क गिराए हैं रातभर जगकर
वहाँ पे फूल उगाने में वक्त बाकी है