लोकगीत : बारामासी :
चैत्र मास में प्रचलित कुछ गीतों में बारहों महीनों
की विशेषताएं वर्णित हैं। इनमें चैत्र का विशेष
वर्णन होना स्वाभाविक ही है, क्योंकि वह सभी
महीनों में श्रेष्ठ होता है। गीतों में वर्णन मिलता
है कि जिन पत्नियों के पति इस महीने घर आ
जाते हैं, उनका भाग्य धन्य है।
किंतु जिनके स्वामी परदेस में हैं, वे पत्नियां कैसे
रहेंगी? चैत्र मास तो जीवित लोगों के लिए ही
रंगीला होता है। एक गीत में कोई विवाहिता स्त्री
बिंदी, हंसुली और नथ जैसे आभूषण मांगती है,
ताकि इस समय वह अपने मायके जा सके –
कोर काकड़ बणायो रैत
लागो म्हैण रंगीलो चैत
ओ लागो म्हैण रंगीलो चैत
ल्यावौ धैं बिंदुलि मैं जानूं मैत
ल्यावौ धैं हंसुलि मैं जानूं मैत
ल्यावौ धैं नथुलि मैं जानूं मैत
ओ लागो म्हैण रंगीलो चैत
लागो म्हैण रंगीलो चैत