गजल: अगर:
उजाले की तरफ बढ़िए अंधेरे से
निराशा छोड़कर मिलिए सवेरे से
हकीकत की शकल को देखिए साहब
निकलिए खुशनुमा सपनों के डेरे से
पकड़िए रोशनी का हाथ धीरे से
न डरिए सांप से डरिए सपेरे से
संभल कर लीजिए अब काम हिम्मत से
बचाना है अगर जंगल लुटेरे से
गजल: अगर:
उजाले की तरफ बढ़िए अंधेरे से
निराशा छोड़कर मिलिए सवेरे से
हकीकत की शकल को देखिए साहब
निकलिए खुशनुमा सपनों के डेरे से
पकड़िए रोशनी का हाथ धीरे से
न डरिए सांप से डरिए सपेरे से
संभल कर लीजिए अब काम हिम्मत से
बचाना है अगर जंगल लुटेरे से