भाषा: ह्रस्वीकरण:
तद्भव शब्द हिन्दी में भी बहुतायत में हैं,
पर कुमैयाँ में प्रयुक्त अनेक शब्दों में
ह्रस्वीकरण की प्रवृत्ति परिलक्षित होती है।
इस प्रक्रिया में अन्तिम दीर्घ स्वर के साथ-
साथ शब्द के अन्य पूर्ववर्ती स्वर भी हृस्व
उच्चरित होते हैं (औ का ओ नहीं होता;
जैसे – चौड़ा / चौड़)
कच्छ, कुअँ, खंब, बस्त,
किड़, गुद, ग्वा्ल, छिट,
झुल, बता्स, बुड़, राज्,
लिस, अनाड़ि, इलैंचि, कंगि,
कुण्डि,गा्ड़ि, गा्लि, गिन्ति,
गो्लि, चिट्ठि, चिनि, छाति,
टिक,दिवा्लि, दे्सि, बिज्लि,
बिड़ि, बो्लि, मो्ति, रत्ति,
रस्सि, रानि इत्यादि।