भाषा: तद्भव:
तद्भव का अर्थ है उस से उत्पन्न। उस से तात्पर्य संस्कृत
से है। परिवर्तित रूप में कुमैयाँ में प्रचलित संस्कृत के
शब्दों को तद्भव कहते हैं ; जैसे-
अंग्वाल, अग्गास, अत्ती, आज, अदपुर, अध्रात, अन्यार,
अन्वार अपजस, अमूस, अस्टमि, असाड़, आँ्स, आँखर,
आद, आ्स, इच्छ, उज्यल, उपद्दर, ऐड़ी, एगदसि, औंल,
कच्छु, कन्य, काँ्स्, का्थ, कुच्चि, कुटुम, कुड़ि, कूस,
खम्ब, खन्नै, खेप, गाग्रि,गत्त, गरौ, गरन, गहाक, गांठी,
गाड़, गौं, गोठ, गो्र , गौंत, घाम, घिउ, घ्वड़,चड़ि, छंचर,
छत्त, जर, जुग, जोगि, जौंल्य, ज्यठ, ता्त, ता्म,तित,
तिनड़, तीस, तुस्या्र,थल, थान, थुप्ड़, दड़, दलिद्दर, दाड़िम,
दिस, दीठ, दुब, दुब्ल, दुरगत, दुरदा्स, दे्बि-द्याब्त, द्वी,
धरम, धर्ति, धूं, ध्ूाल, धुलर्घ, नीन, नैबेद, नौनि, नौर्त,
न्यूँत, पर्वार,परसाद, परान, पितर, पिप्ल, पीड़, पुछ्ड़, पूस,
बचन, बज्जर, बत्ति , बर, बर्यात, बर्ख, बानर, बास,बिचार,
बान्ग,बीस, ब्या, भतिज, भिच्छ, मंतर,मा्च्छ, मुनड़ि, मुस,
मेथि, मोल, रीत, रीन, लगन, लच्छन, लुअ, लौंग, सरीर,
सिल, सँच्चि,संपति, संबस्सर, संग्राँत, सज, सत्तू, सम्धि,
सर्ग, सराद, सिंगार, सुअ, सुन, सूर्ज, सौर, स्याप, स्याल,
स्वीन, ह्यूँ इत्यादि।