भाषा: रूढ़ शब्द:
जिन शब्दों का अर्थ की दृष्टि से विभाजन नहीं किया जा
सकता, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं- जैसेः काल, हाथ, साग,
ठौर, गड़, कमीज, बटन, इस्कूल आदि। ये शब्द कुमैयाँ में
अलग-अलग भाषाओं से आये हैं। अतः ऐसे शब्दों को उद्गम
के आधार पर निम्नवत् वर्गीकृत किया जा सकता हैः
तत्सम –
तत्सम अर्थात् उस के समान। उस से तात्पर्य संस्कृत से है,
यानी बिना किसी परिवर्तन विशेष के कुमैयाँ में प्रचलित संस्कृत
शब्दों को तत्सम कहते हैं – जैसेः संध्या
अण्ड, अन्त, अन्ध, अन्न, अकाल, अमर, अवस्था, असभ्य,
अहंकार, आचार्य, आचमन, आयु, आसन, इच्छा, इष्ट, ईश्वर,
उच्च, उत्तम, उत्पात, कठिन, कण्ठ, कन्या, कपाल, कर्म,
काल, कृपा, क्रिया, कुल, कुशल, खण्ड, खेल, गंध, गुण,
गोचर, गोदान, गोत्र, ग्रह, घात, चन्दन, चरण, चिता, जप,
जातक, ज्योतिष, तन्त्रा, तर्पण, तिल, तीर्थ, दया, द्वार,
धन, धर्म, ध्यान, नाश, नित्य, नीच, न्याय, पंचामृत, पंडित,
पंचक, पाठ, पाप, पिण्ड, पुराण, प्रधन, प्रेत, पुण्य, भक्ति,
भजन, भाग, भूत, भूमि, मंत्रा, मुख, मूर्ख, मृत्यु, यदि,
यमदूत, यमराज, रस, राशि, रूप, रोग, लब्धि, लक्षण,
लीला, विचार, विपत्ति, शंकर, शंका, शंख, शत्रु, शान्ति,
शास्त्र, शीश, संतान, संध्या, संसार, समाचार, हवन, हार,
ज्ञान आदि।