उत्तराखण्ड : अन्य विविध:
प्राकृतिक अवस्थाओं के आधार पर कुमाऊं में तीन ऋतुएं मानी जाती हैं –
मार्च के मध्य से जुलाई के मध्य तक ‘रूड़ी’ अर्थात् ग्रीष्म
जुलाई के मध्य से नवंबर के मध्य तक ‘चैमास’ अर्थात् वर्षा
नवंबर के मध्य से मार्च के मध्य तक ‘ह्यून’ अर्थात् शीत
पषु : गाय, भैंस, घोड़ा, बकरी, भेड़, कुत्ता, बिल्ली, चूहा,
सांप, मेढक,साही, बंदर, लंगूर, लोमड़ी, सियार, हिरन,
सेही, भालू, बाघ आदि
पक्षी : कठफोड़वा, कफुआ, कोयल, कौवा, घिनौड़, लमपुछिया,
घुघुत, चील, हिलांस आदि
अनाज : गेहूं, धान, मडुआ, मादिरा, झुंगरा, मक्का आदि
दलहन : मास, मूंग, गहत, भट्ट, राजमा आदि
तिलहन : तिल, सरसों, भांग, राई, मूंगफली, सोयाबीन आदि
वृक्ष : चीड़, देवदार, बांज, तुन, पयार, पांगर, काफल, खैर,
साल, हल्दू
लता : लौकी, तुरई, कद्दू, राजमा, ककड़ी, गेठी, करेला आदि
षाक : धनिया, मेथी, राई, पालक, चमस्यूर, बेथुआ, बंदगोभी,
मूली
अन्य : आलू, प्याज, लहसुन, धूना, अदरख, हल्दी, मिर्च,
गडेरी, टमाटर
फल : अखरोट, दाड़िम, आड़ू, बेड़ू, खुमानी, सेव, संतरा,
माल्टा, पुलम,
केला, हिंसालू, किरमोड़ा, चुर्यालू आदि
फूल : गेंदा, बुरूंस, गुलदाबरी, छोटे-छोटे लाल और सफेद
गुलाब आदि
नाना प्रकार के फूल यहां खिलते हैं। पर्वतों की चोटियों से झरने
छलकते हुए झरते हैं। मखमली धरती के इन्हीं अंचलों में सुन्दर
तालों की षोभा पर्यटकों को सुख देने के लिए तैयार रहती है।
फलों की डालियां झुक-झुक कर आने वालों को न्योता देती हुई
सी लगती हैं, मानो कह रही हों – आप इधर आए, हमारा
नमस्कार लीजिए और हमारा रसास्वादन कीजिए। मधुर-मधुर
स्मृतियों को संजोने वाला है-‘कुमाऊं अंचल’।