सिनेमा: अवाक्:
भारत में अवाक् अर्थात् मूक फिल्मों का श्रीगणेश ढुंडीराज
गोविंद फाल्के के द्वारा निर्मित ‘राजा हरिश्चंद्र’ से माना
जाता है, जिसे 27 मई 1913 को सैण्ड हस्र्ट रोड पर
स्थित कोरोनेशन थियेटर में प्रदर्शित किया गया था। इस
फिल्म में कथा विकास को दर्शाने के लिए हिंदी टाइटिल्स
का प्रयोग किया गया है और साथ में अंग्रेजी अनुवाद भी
दिया गया है। इस तरह मराठी भाषी होते हुए भी दादा
साहब फाल्के ने महात्मा गांधी की भांति ही हिंदी भाषा के
राष्ट्रव्यापी स्वरूप को पहचान लिया था और उसी को उन्होंने
इस प्रथम मूक चलचित्र को समझाने का माध्यम स्वीकार
किया था।
अवाक् फिल्मों की नींव को सुदृढ़ कपने वाली संस्थाओं में
फाल्के के बाद हिंदुस्तान फिल्म कंपनी – 1918, महाराष्ट्र
फिल्म कंपनी – 1919, कोहनूर फिल्म कंपनी – 1919,
स्टार फिल्म कंपनी – 1920, श्रीविष्णु फिल्म कंपनी –
1923, शारदा फिल्म कंपनी – 1925, इम्पीरियल फिल्म
कंपनी – 1926, लक्ष्मी पिक्चर्स 1926, आर्यन् फिल्म कंपनी
– 1927, रंजीत मूवीटोन कंपनी – 1929, सरोज फिल्म
कंपनी – 1929 तथा प्रभात फिल्म कंपनी – 1929 के नाम
उल्लेखनीय हैं।
1918 में इन कंपनियों के आविर्भाव से पूर्व फिल्म उद्योग की
प्रगति की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए तत्कानीन ब्रिटिश
सरकार ने ‘सिनेमेटोग्राफ एक्ट’ पास करके इस व्यवसाय में आने
वालों के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य कर दिया था और 1920 में
फिल्मों की सीमा निर्धारित करने के लिए ‘इंडियन फिल्म सेंसर
बोर्ड’ की स्थापना कर दी थी।