लोकगाथा: गंगू रमोला: 17
हिन्दी रूपान्तर:
विद्याओं का भार गुरु ने रमोलो को सौंप दिया।
सिदुवा-बिदुवा आपस में बोले-
हम घर चले जाते हैं, (हमने) माँ से इकरार किया है।
बिदुवा बोला-दद्दा (हम) गुरु-चोर हो जायेंगे।
दद्दा! गुरु जी से पूछकर जाते हैं, गुरु को नहीं छोड़ते।
सिदुबा बोला-चले जाते हैं।
काक भक्या पुस्तक, ह्यँूलास की पोथी;
फ्यूँलास की पिटारी, चैबटिया की धूल;
बोकसाड़ी बिहूया, काँवर की जड़ी;
कामरूप का धनुष, स्त्री का मोहन;
ष्मषान की राखी, भूखी की आग;
महाकाली का जप, औंलास पिटारी;
सौंरय्ाल के वीर, हनुमंयी हा;
आकाष के भभूती ताड़े, झोली का नृसिंह;
कोखी का कलुवा, गोद का गोरिया;
भैरवासन (तंत्र) आदि से परिपूर्ण….. क्रमशः