उत्तराखण्ड : आजादी के बाद:
सन् 1961 में चीन के साथ हुए संघर्ष के बाद कुमाऊं
आयुक्त मंडल की तिब्बती सीमांत से लगी पिथौरागढ़,
चमोली एवं उत्तरकाषी तहसीलों को इसी नाम से तीन
पृथक जिलों का दर्जा मिला। इन तीन नए जिलों को
मिलाकर उत्तराखण्ड नामक एक नया आयुक्त मंडल
निर्मित हुआ। चारों जिलों के षेष भाग कुमाऊं मंडल के
अंतर्गत रहे। कुछ वर्ष उपरांत गढ़वाल और कुमाऊं में दो
अलग-अलग आयुक्त मंडल बना दिए गए।
कुमाऊं मंडल में पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और नैनीताल तथा
गढ़वाल मंडल में उत्तरकाषी, चमोली, टिहरी और पौड़ी
जिले रहे। सन् 1975 में देहरादून जिले को गढ़वाल मंडल
के पांचवें जिले के रूप में सम्मिलित कर लिया गया। इसी
वर्ष अल्मोड़ा जिले की चंपावत तहसील को भी पिथौरागढ़
जिले में मिला दिया गया।
चंपावत आज एक स्वतंत्र जिला है। अल्मोड़ा के ही अंतर्गत
बागेष्वर नामक स्वतंत्र जिला बन चुका है। अन्य नवसृजित
जनपदों को मिलाकर बने उत्तराखण्ड प्रदेष में आज गढ़वाल
के अंतर्गत पौड़ी, चमोली, उत्तरकाषी, टिहरी, रुद्रप्रयाग,
देहरादून व हरिद्वार नामक सात जिले तथा कुमाऊं के अंतर्गत
नैनीताल, अल्मोड़ा, बागेष्वर, पिथौरागढ़, चंपावत व ऊधमसिंह
नगर नामक छः जिले सम्मिलित हैं।