लोकभाषा: कुमाउनी:
अगाध नदियों और बीहड़ पहाड़ों की विशिष्ट भौगोलिक सीमाएँ
जब इन सम्बन्ध सूत्रों को विलग करती हैं, तब उच्चारण पर
जलवायु और अभिव्यक्ति पर परम्परा का प्रभाव बढ़ता है; जो
धीरे-धीरे बोली की निजी विशिष्टता बन जाता है।
अलग-अलग समय में विभिन्न स्थानों से विभिन्न धार्मिक,
सांस्कृतिक, भाषाई, भौगोलिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के
लोगों के आकर बसने से यहाँ एक अनूठी भाषा और संस्कृति
ने जन्म लिया। यहाँ के आदिवासी भी इन मेहमानों के साथ
घुलमिल गए। मिश्रण, समन्वय, सामंजस्य और समाहार की
इस सुदीर्घ परम्परा ने वैविध्यपूर्ण किन्तु एक सूत्र में गुँथी हुई
कुमाउनी भाषा एवं संस्कृति का पल्लवन किया।
कुमाऊँ के उत्तरी सीमान्त में भोटिया और राजी जनजातियाँ
निवास करती हैं। भोटांचल का पश्चिमी क्षेत्रा जोहार तथा पूर्वी
भाग दारमा नाम से विख्यात है। राजी लोग पिथौरागढ़ जिले के
डीडीहाट और धारचूला में रहते हैं। इस क्षेत्रा में भोटिया लोग भी
अच्छी संख्या में बसते हैं। भोटियों की भाषा तिब्बत-बर्मी परिवार
से और राजियों की आग्नेय परिवार की मुंडा भाषा से सम्बन्धित है।