उत्तराखण्ड : कमिष्नरी:
गोरखा शासन (1790-1815) के समय शारदा (काली) नदी के
उद्गम से खटीमा तक कुमाऊं राज्य की पूर्वी सीमा थी। पष्चिम
में नंदादेवी, पष्चिमी त्रिषूल, पिंडर नदी का पूर्वी पनढर, ग्वालदम
तथा पनुवाखाल मेहलचैरी कुमाऊं राज की सीमा थी। यही स्थिति
अंग्रेजों के आने तक बनी रही।
1815 ई0 में टिहरी को छोड़ षेष उत्तराखण्ड का प्रषासन ऊपरी तौर
पर बंगाल प्रेसीडेन्सी से संबद्ध था। 1834 ई0 में आगरा प्रेसीडेन्सी बनी,
जो दो साल बाद नाॅर्थ वेस्ट प्राॅविंस के रूप में अलग प्रांत बन गई। इसे
लेफ्टीनेंट गवर्नर देखता था। 1856 ई0 में अवध कंपनी सरकार के क्षेत्र
में मिला लिया गया। 1877 ई0 में अवध के जिलों को नाॅर्थ वेस्टर्न
प्राॅविंसेज में मिलाकर नाॅर्थ वेस्टर्न प्राॅविंस एण्ड अवध नाम दिया गया
और 1902 ई0 में यूनाइटेड प्राॅविंस आॅव आगरा एण्ड अवध बना। 1937
ई0 में इसे यूनाइटेड प्राॅविंस और 1950 ई0 से उत्तर प्रदेष कहा जाने लगा।
उन्नीसवीं षताब्दी में 1838 तक जिला कुमाऊं नामक एक ही जिला था,
जिसमें नैनीताल, अल्मोड़ा के अतिरिक्त गढ़वाल सम्मिलित था। सन् 1839
में गढ़वाल का अलग जिला बनाने पर जिला कुमाऊं के अंतर्गत नैनीताल
और अल्मोड़ा दो भाग रह गए। सन् 1892 में इन्हें भी अलग करके स्वतंत्र
बना दिया गया। सन् 1948 में टिहरी गढ़वाल राज्य के विलय के बाद इसी
नाम से कुमाऊं कमिष्नरी में चौथा जिला बढ़ गया।