लोकगीत : न्योली :
इन लघु गीतों को यदि वनों के गीत कहें, तो उचित
ही होगा। ‘न्योली’ प्रेमपरक गीत हैं, पुरूष गायक
द्वारा इनमें ‘न्योली’ तथा स्त्री द्वारा ‘न्योला’ या
‘न्योल्या’ शब्द की संबोधन रूप में पुनरावृत्ति होती है।
प्रत्येक ‘न्योली’ में दो पंक्तियां होती हैं।
प्रथम पंक्ति बहुधा किसी मानवीय या
प्राकृतिक बात को लेकर चलती है।
दूसरी पंक्ति में अभिव्यक्त भाव पाकर ही
पहली पंक्ति भी सार्थक हो उठती है।
उदाहरण –
बाटा तली स्यापा छड़ी बाटा में सरप
पंछि हुनूं उडि़ ऊनूं तुमरि तरप
तुमरि तरप न्योली तुमरि तरप