भाषा: पहाड़ी बोलियां :
भद्रवाह से लेकर नेपाल तक बोली जाने वाली सभी भारतीय
आर्य परिवार की बोलियाँ पहाड़ी कहलाती हैं। इस पहाड़ी भाषी
प्रान्त के उत्तर में तिब्बत है, जिसमें चीनी परिवार की बोलियाँ
बोली जाती हैं। पहाड़ी प्रदेश के दक्षिण में भारतीय आर्य भाषाओं
का क्षेत्र है।
पहाड़ी बोलियों को भाषा वैज्ञानिकों ने तीन भागों में विभाजित
किया है। प्रथमः पश्चिमी पहाड़ी, जो अनेक सम्बन्धित बोलियों
का सामूहिक नाम है। जिनका सपादलक्ष में प्रचलन है। द्वितीयः
पूर्वी पहाड़ी अर्थात नेपाली, जिसकी हिन्दी प्रदेश की बोलियों में
गणना नहीं होती तथा तृतीयः मध्य पहाड़ी, जिसके दो रूप प्रमुख
हैंः गढ़वाली और कुमाउनी।
मध्य भारत का अंग होने के कारण मध्य हिमालय का हिन्दी भाषी
क्षेत्रों से प्राचीन सम्बन्ध रहा है। समय की गति के साथ यहाँ की
भाषा ने वैदिक, छांदस्, संस्कृत, पाली, प्राकृत, अपभ्रंश आदि
कई रूप ग्रहण किए। दसवीं अथवा ग्यारहवीं शती में जाकर आध्ुनिक
भारतीय भाषाएँ विकास में आईं। मध्य पहाड़ी का विकास भी इसी
क्रम में हुआ है। भारतीय इतिहास का अभिन्न अंग होने के बावजूद
उत्तराखण्ड की मानवशास्त्रीय तथा ऐतिहासिक यात्रा अनेक बार शेष
भारत से भिन्न रही है।