लोकगीत : कल्पना :
तीसरे प्रकार के भगनौल में गायकों की
हवाई कल्पना को पूरी छूट मिलती है।
वह जो कुछ कहना चाहता है, जिस रूप
में कहना चाहता है, खुलकर कह देता है।
हर जोड़ की हर पंक्ति उसके हृदय की गहन
अनुभूति से मुखरित होती है; जैसे-
बाकरै की खुटी
आपुणा जोबन देखी आफि रै छै टुटी
अथवा
खाटि का पाया
चिटि्ठ में खबर भेजिए बाटुलि में माया