उत्तराखण्ड : कूर्मांचल :
वैदिक भूगोल के अनुसार हमारे देष के तीन नाम चर्चित रहे हैं –
जंबू द्वीप, भारत वर्ष और आर्यावर्त। आर्यावर्त हिमालय से विंध्य
पर्वत तक की भूमि का नाम था। भारत वर्ष हिमालय से समुद्र तक
की भूमि का नाम था और जंबू द्वीप में भारत वर्ष के अतिरिक्त
आधुनिक तिब्बत की भूमि ‘उत्तरकुरु’ और मध्य एषिया के बल्ख
बदख्षां की भूमि ‘बाल्हिक’- उत्तरभद्र- को जोड़ा जाता था। जंबू
द्वीप के मध्य में मेरु पर्वत बताया गया है। यह मध्य हिमालय की
सबसे ऊंची चोटी का नाम था। चूंकि आज नंदादेवी पर्वत सबसे ऊंचा
है, अतः यही प्राचीन युग का ‘मेरु’ पर्वत होना चाहिए।
मेरु, हिमालय के मध्य भाग का नाम था और यह प्रदेष भी मेरु प्रांत
के अंतर्गत ही। रामायण के समय यह प्रांत उत्तर कौषल कहा जाता था।
महाभारत में यह प्रदेष उत्तर-कुरु नामक राज्यांतर्गत था। किसी-किसी
पुराण में यह उत्तराखण्ड भी कहा गया है। खस जाति के राज्यकाल के
समय महाभारत, वाराही संहिता तथा वायुपुराण में इसको खसदेष भी कहा
गया है। मानसखण्ड बनने पर यह प्रांत मानसखण्ड के नाम से पुकारा गया।
ह्वेनसांग के आने पर छठी षताब्दी में यह प्रदेष कत्यूरी सम्राटों के ब्रह्मपुर
नामक राज्य के अंतर्गत था। इस देष को कूर्मांचल कहलाए जाने का श्रेय
चंद राजाओं तथा उनके समय के राजपंडितों को है। कुमाऊं या कूर्मांचल
नाम इस प्रदेष का उन्हीं के आने पर प्रचलित हुआ।