बाल कथाएं:
कुमाऊं में भांति भांति की बाल कथाएं उपलब्ध हैं।
इनमें मुख्य रूप से बच्चों को अक्षरों तथा अंकों का ज्ञान कराने
वाली छोटी छोटी रोचक कथाएं आती हैं। इनके अतिरिक्त मनोरंजन
के साथ साथ ज्ञानवर्धन करने वाली कथाएं भी बालकों के लिए हितकर
मानी जाती हैं। ये घर के नाती पोतों व उनकी नानी दादी के बीच
भाषा का सेतु भी बनाती हैं। उदाहरण –
लोककथा: रोटी गिण गिण गणतुवा भौ
मूल कथा: एक गरीब बांमण छि। गौं में दस पांच घरन जजमानी भै। वां
बटिक जिलै मिल वीलै वांमणा क परवार क गुजर चलनेर भैै। परवार लै नान
नानै छि। द्वि परांणि भै कुल, बांमण और वीकि बामणि। आपुं त बांमण सिद
सादै भै, पर बांमणि भै बड़ि चतुरिया। व्याल हुं खांण बणैं बेर जब बांमणि
बांमण कै बोलूनेर भई त रोज चुल पन चार र्वाटा देखीनेर भै। द्वि बांमणैल खै,
द्वि बांमणि हुं छ्वाड़।
अन्धेर यो भयो कि चाहे बांमण चार देलि मांगि लयौ त वी चारै र्वाटा बणनेर
भै और चाहे द्वि देलि मांगि लयो त वी चारै र्वाटा बणनेर भै। बांमणै कि लै
समज में नि उनेर भै कि सिद चाहे कतुकै ल्यूं यो र्वाट चारै किलै देखीनीं रोज।
एक दिन व्याल बखत बामण बोलाण बामणि हुंणिः,‘‘मैं जरा जजमानी में दुसार
गौं तक जांण्यंु। तु म्यार उंण तक खांण हांण बणैं राखियै।’’ योस कैबेर बामण
त आपणि खड़ि खातड़ि थमै बेर घर बटिक बाट लाग। कैं जांण त छि नैं वील।
तौव घट गाड़ पन घुमि घामि बेर अन्ह्यार पड़ी बै घर हुं लौट और खुसूखुसू आपणि
घरैकि छत में जै बैर एक कुण पन भै रै। चुलाक खन हुं कान लगै बेर सुणि भै उ
बामण। वील सुण कि आठ बखत त र्वाट पकूंणक फटफटाट भौ और सोल बखत तौ
में खितण और पलटूंणैैकि छ्यां छ्यां भै।
जब भली कै अन्ह्यार है गयो त बांमण छत्त बटिक उतरि बेर भिं में ऐ गे।
भितेर ऐ बेर बांमणैल बामंणि थैं कयो त के नै। हात खुट ध्वे, ध्वेई धोति पैनि
पानि बेर बांमण द्याबतनाब थान थैं आसन मोड़ि बेर भै गे। धूप बाति करि कुरि
बेर बांमणि हुं बोलाणः ‘‘हंवै, आज त म्योर आंग झरकण जस लागि रौ। कैं
द्याव्तैकि हाल त नि उंनिं। तु जरा अच्छ्यत पिठ्यां लै बेर धरिं कन दिनीं।
बामणिल उसे कर। क्रमषः