लोकगाथा: गंगू रमोला: 9
हिन्दी रूपान्तर:
बूढ़ा गंगू रमोला बैठा ऊँचे सिंहासन में।
कहो भाई संदेषक, (तुम) कहाँ से आए?
कृष्ण जी के दूत ने परवाना दिया।
पहली पंक्ति में आदर कुषल थी
दूसरी पंक्ति भगवान ने ऐसी लिखी थी-
”मेरा मन रम गया है रंगीली रमोली में।
राजा, ढाई गज जमीन मुझ को दे दो।“
परवाना पढ़ते ही राजा को क्रोध हो आया।
आज ढाई गज मांगता है,
कल बाकी भी मांग लेगा।
मौखिक जवाब दिया (राजा ने)।
सुनो दूत-
‘आज तुझे क्षमा करता हूँ,
कल से कहेगा तो
तेरा सिर काट कर बद्रीनाथ जी
को चढ़ा दूँगा।’ क्रमशः