लोकगीत : मधुरता :
कुमाऊँ के संस्कार गीत वहां की लोक संस्कृति का वास्तविक
परिचय प्रदान करते हैं। संस्कार गीतों में विधि-विधान का
अनुपालन ही लोकजन को एक विशेष प्रकार के सामाजिक
ढांचे में ढालता है।
विवाह संबंधी गीत वर एवं कन्या दोनों के घरों में गाए जाते
हैं। जिनका आरंभ गणेष्ा पूजा तथा सुवाल पथाई से होता है।
वरपक्ष के गीतों में हर्ष एवं उल्लास की भावनाएं अधिक उमड़ती
हैं। जब कि कन्यापक्ष के गीतों में करूणा एवं विषाद की अंतर्धारा
भी प्रवाहित होती रहती है।
यही कारण है कि संस्कार गीत अपने समाज की लोक संस्कृति का
वास्तविक परिचय प्रदान करते हैं। इनकी कल्पनात्मक मौलिकता
गगनचुम्बी होते हुए भी अपनी माटी की महक नहीं छोड़ती। इनकी
धुनें पुरानी हो सकती हैंए पर बासी नहीं। उनकी मधुरता आज भी
कानों में मिसरी जैसी मिठास घोल देती है।