गजल: सादा पान:
कहना मुश्किल दो पल की पहचान में
क्या-क्या गुजरी इस नन्हीं सी जान में
तेरे प्यार ने ख़ुशबू और सुरूर भरा
जर्दा डाल दिया है सादे पान में
आँखों वाले पैगामों के हरफों के
अक्स उभर आए अपने ईमान में
बिना लिखा ख़त होठों में क्यों दबा लिया
आओ इसे डाल दो मेरे कान में