लोकगीत : नौला सेलाना :
इस गीत के साथ वर-वधू के मुकुट तथा किंकिणी आदि को
नौला अर्थात् जलस्रोत के पास विसर्जित किया जाता है।
स्यौ पुजौ माइ सीता देही बहूराणी
जनम जनम आईवांती सिलौ
एक जो मांगूं मैं पुत्र वर
जनम जनम पुत्रवांती सिलौ
जनम जनम आईवांती सिलौ
सफेदा अच्छत पूजि सिलौ
पिंगला अच्छत थापि सिलौ
स्यौ पुजौ माइ ….सुंदरी
स्यौ पुजौ माइ….मंजरी
जनम जनम पुत्रवांती सिलौ
जनम जनम आईवांती सिलौ