तीसरा उपवाक्य :

teesaraभाषा: तीसरा उपवाक्य:

3. आश्रित उपवाक्यः

सम्पूर्ण वाक्य में अपने अर्थ की पूर्णता के लिए प्रधान उपवाक्य
पर आश्रित रहने वाला उपवाक्य आश्रित उपवाक्य कहलाता है।
आश्रित उपवाक्य के तीन भेद होते हैंः

क – संज्ञा उपवाक्यः प्रधन उपवाक्य की क्रिया के लिए कर्ता,
कर्म या पूरक पदबन्ध् का कार्य करने वाले उपवाक्य को संज्ञा
उपवाक्य कहते हैं –

जैसेः मि पत्त छ्यो कि उ जरूर आलो्।

ख – विशेषण उपवाक्यः प्रधान उपवाक्य की संज्ञा या सर्वनाम
की विशेषता प्रकट करने वाले आश्रित उपवाक्य को विशेषण
उपवाक्य कहते हैं –

जैसेः उ नै आ्या्े, जो भौत बोंल् छ्यो।

ग – क्रिया विशेषण उपवाक्यः प्रधन उपवाक्य की क्रिया का
कारण, रीति, समय आदि प्रदर्शित करने वाले उपवाक्य को
क्रिया विशेषण उपवाक्य कहते हैं –

जैसेः जब बर्ख थम्छि, तब उ बा्ट लाग्छ।

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Published by

Dr. Harishchandra Pathak

Retired Hindi Professor / Researcher / Author / Writer / Lyricist

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