रुबाई : साकी :
साकी ! ये सच है हम तेरे काबिल नहीं
हम न खैयाम हैं और न बन पाएंगे
फिर भी इनकार मत कर न जा रूठ कर
वरना जजबात दिल के मचल जाएंगे
रुक भी जा साकी ए ! तुझको मय की कसम
तू रुकेगी जमाना भी रुक जाएगा
तू चली जाएगी तो भी कुछ गम नहीं
खुद ही ढालेंगे खुद ही पिए जाएंगे
हमने माना कि महफिल में तेरे बिना
मीठी घुंघरू की झनकार मुमकिन नहीं
पर खयालों में जब रक्स होगा तेरा
जाम की दाद दिल से दिए जाएंगे