कबीर वाणी
यथार्थ
जो लै एैरौ जाल उ
राजा रंक फकीर
एक सिंहासन बैठिबेर
दुसर बांधी जंजीर
धीरे धीरे यार मन
धीरे सब तिर हूं
सौ घा्ड़ पानि खित मालि
सिंचूं , मौसम उं फल हूं
गोधन गजधन बाजिधन
और रतन धन खान
जब ऐजां संतोस धन
सब धन माट्ट समान
कबीर वाणी
यथार्थ
जो लै एैरौ जाल उ
राजा रंक फकीर
एक सिंहासन बैठिबेर
दुसर बांधी जंजीर
धीरे धीरे यार मन
धीरे सब तिर हूं
सौ घा्ड़ पानि खित मालि
सिंचूं , मौसम उं फल हूं
गोधन गजधन बाजिधन
और रतन धन खान
जब ऐजां संतोस धन
सब धन माट्ट समान