लोकगाथा: गंगू रमोला: 4
हिन्दी रूपान्तर:
धार से दिन ढले, नदी में छाया घिर आई।
सुरकण्डा (पर्वत) हिमालय में दिन ढल गया।
लताओं में श्रेष्ठ लता चन्दन की लता।
गायों में श्रेष्ठ गाय कामधेनु गाय।
ग्वालिनों में श्रेष्ठ ग्वालिन भानुमति ग्वालिन।
भानुमति ग्वालिन ने आदेष दिया-
जंगल की गायें-भैंसें घरों को लौटने लगीं।
पथ-बटोहीं ने रात्रिवास ले लिया।
घट की घटवालियाँ घरों को लौटने लगीं।
वनों की घसियारिनें घरों को लौटने लगीं।
जल-मछली ने तालाब में विश्राम ले लिया।
बाड़े की मुर्गियों ने बाड़ों में विश्राम किया।
चाखुड़ों ने घरों की दिवार-छिद्रों में सिर छुपाया।
तीतरों ने, झाड़ियों में विश्राम किया।
काकड़ों ने कुँजों में सिर छुपाया।
काँठे के घुरड़ों ने काठियों में वास किया। क्रमशः