भाषा : अन्य विशिष्ट प्रयोग :
6. बलः प्रत्यक्ष कथन के बाद प्रयुक्त बल सूचक
क्रिया की व्यंजना करता है; जैसेः
‘म्यल मैं। झन जाए’, बल।
(‘मेले में मत जाना’,बोला)
7. भल्वेः वाक्य की क्रिया के बाद प्रयुक्त भल्वे से
अनिश्चय की व्यंजना होती हैः जैसेः
उन रात्तैइ निसि ग्यान, भल्वे!
(वे सवेरे ही चले गए हों, भलेही)
8. भा्ँगिः स्वीकृति सूचक एवं निषेध् सूचक अव्ययों के
उपरान्त प्रयुक्त भा्ँगि से निश्चय की व्यंजना होती है; जैसेः
ह्वे भा्ँगि (हाँ भई)
नै भा्ँगि (नहीें भई)
9. मन्तरः निषेध् वाचक अव्यय से पूर्व प्रयुक्त मन्तर
अपवाद की व्यंजना करता है ; जैसेः
उइले् मन्तर नै खा्यो्।
(उसने मगर नहीं खाया)
10. लाः मध्यम पुरुष के लिए वाक्यारंभ में संबोधन बोधक
अव्यय ‘हँ’ के अथवा वाक्यान्त में क्रिया के बाद ला के प्रयोग
से स्नेहिल आत्मीयता व्यंजित होती है; जैसेः
हँ ला ! कि खान्नौ है?
(हाँ रे ! क्या खा रहा है)
काँ जान्नौ है ला?
(कहाँ जा रहा है, रे !)