गीत: क्या:
यह कैसा संकोच सांस लेने में
तुम्हें हवा ये रास नहीं आती क्या
कोई कारखाना है शायद आगे
तुम्हें अजब सी बास नहीं आती क्या
क्या बतलाऊँ पेड़ काट डाले हैं
सारे बड़े बड़े पैसे वालों ने
बरबादी के जाल बिछा रक्खे हैं
तन के उजलों ने मन के कालों ने
हमारी तरह इधर घूमने फिरने
कोई हस्ती खास नहीं आती क्या
दया धर्म की भली भावना कोई
इनके दिल के पास नहीं आती क्या