लोकगाथा : गंगू रमोला : 2
हिन्दी रूपान्तर:
ऊँचे (शिखर के) झाँकर सैम, गहरी गैराड़ तुम्हारा ध्यान जगे।
दयालु ठाकुर बयाली सैंम जी तुम्हारा ध्यान जगे।
पैदास का गोरिया, लोड़ा (पत्थर) का लोड़िया,
सिला के कालसिण; दुनसला के भूमियाँ,
नाभिनाल के नौल (देवता) तुम्हारा ध्यान जगे।
चिटमिटाओं के भुलुवा, रक्त का कलुवा तुम्हारा ध्यान जगे।
चैसठ योगिनियाँ, बावन वीरो, तुम्हारा ध्यान जगे।
जागेष्वर के जागनाथ, बागेष्वर के बागनाथ तुम्हारा ध्यान जगे।
भूत-भक्षिणी, पिषाच-भक्षिणी, नथ वाली, घुमटी वाली;
अंधकार स्वरूपिणी, प्रकाष स्वरूपिणी,
काली-महाकाली तुम्हारा ध्यान जगे।
पूरब की कालिका, पष्चिम की मालिका, उत्तर की हिउँला (देवी)
दक्षिण की पुन्यागिरी माता तुम्हारा ध्यान जगे।
आरुणी परिहार के नाती,
बारुणी परिहार के नाती,
गर्तखम्भ चैहान के नाती;
बूढ़े गंगू रमोला (के पुत्र)
(क्रमशः)