पर्व : मौसम :
इसमें कोई संदेह नहीं कि वियोग की अनुभूतियां
गीतों के बोलोंको अधिक मर्मस्पर्शी बना देती हैं।
गीतों के माध्यम से सामाजिक जीवन में सामूहिक
आह्लाद का संचार करने वाली होली के मौसम में
एक ओर सारी वनस्पतियां धरती से अपना रूप-रंग
लेकर खुली हवा में इठलाने का स्वांग या लहराने का
प्रयास करती नजर आती हैं और दूसरी ओर रूप-रस
के लोभी भंवरे अलग-अलग टोलियां बनाकर गाते-
गुनगुनाते झूमते-फिरते दिखाई देते हैं।
होली रे होली रंगों की झोली
आई तेरे घर पे मस्तों की टोली
मुख न छुपा ओ रानी सामने आ
(पराया धन)