भाषा: पदान्वय
वाक्य के विविध् व्याकरणिक रूपों की पारस्परिक एकरूपता को अन्वय
कहा जाता है। यह एक रूपता लिंग-पुरुष-वचन आदि से प्रमाणित होती
है। कुमÕयाँ के वाक्य विन्यास में निम्नलिखित विशेषताएँ परिलक्षित होती हैंः
क – कर्ता व क्रिया में अन्वयः एकाधिक कर्ता होने पर बहुवचन क्रिया का
प्रयोग किया जाता है; जैसेः
बुड़-बुड़ि चुलानै मैं खा्ल (बुड्ढे-बुड़्ढियाँ रसोई में ही खाएँगे)
ख – कर्म व क्रिया में अन्वयः कर्म के लिंग-वचनानुसार क्रिया का प्रयोग
किया जाता है ; जैसेः
मीले् महाभारत नै द्ेख्या्े (मैने महाभारत नहीं देखा)
मीले् रामायन नै पढ़ि (मैने रामायण नहीं पढ़ी)
एक बाघ मारी गौ (एक बाघ मारा गया)
दस बाघ मारी ग्यान (दस बाघ मारे गए)
ग – कर्ता, कर्म व क्रिया में अन्वयः भाववाच्य की क्रिया कर्ता/कर्म के अनुसार
अन्वित न होकर पुल्लिंग-अन्य पुरुष-एकवचन की भाँति प्रयुक्त होती है ; जैसेः
म्यर पुत नै खाईन्नय (मुझ से नहीं खाया जा रहा है)
घ – विशेषण व विशेष्य का अन्वयः विशेषण का रूप विशेष्य के अनुरूप प्रयुक्त
होता है ; जैसेः
ठुलि चेलि जान्ने (बड़ी लड़की जा रही है)
ठुलो् चेलो् जान्नो (बड़ा लड़का जा रहा है)