लोकगाथा : गंगू रमोला 20 :
निकाँसी बिजुला.म्यरा च्यल छन।
द्वी भाई रमोलाए गंगूथें कूँनन.
श्द्वीयै रानिन की छातीए बाद सात रे भद्यालाए
भटक रे सिलोए सातै भल तवाय
होली साँचिरे सन्तति दूदरे फुटलो।
धरम की नाव होली पाप को रे पाँणि।
बिजूला की छाती फूटी दूद की रे गंगा।
फटी धरमैं की सिलाए भद्यालो टुटि गयो।
सिदुवा.विदुवा दूद पीन लाग्या।
पर्छि बुढ़गंगूलेए रमोलों की ढोक।
रंगीली रमोली का भया द्वीये राजकुमार।
नौ.खण्ड धरतीए नाम रे कमाछ।
तस नाम सुणैंनेर तुमर है जावौ।