भाषा : पद-विन्यास
भाषा की एक या एकाधिक ध्वनियों से अक्षर, अक्षरों से शब्द और धातु
फिर शब्दों और धातुओें से उनके व्याकरणिक रूप बनते हैं। एकाधिक
व्याकरणिक रूपों के संयोग से विभिन्न पदबन्धों की रचना होती है और
विविध रूपों अथवा पदबन्धों के मेल से वाक्य संरचना होती है। संरचना की
दृष्टि से वाक्य भाषा की सबसे बड़ी इकाई मानी जाती है।
1 – पदबन्ध
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया विशेषण तथा क्रिया के रूप वाक्य की
व्याकरणिक इकाइयाँ होते हैं। इन इकाइयों को पद भी कहते हैं और किसी
व्याकरणिक इकाई के स्थान पर मिलकर प्रयुक्त होने वाले एकाधिक रूपों को
पदबन्ध कहा जाता है, जिनका वर्गीकरण दो प्रकार से होता हैः
क – स्थान के आधार पर:
1 – कर्ता पदबन्ध: बाँजा जंगल में रून्य स्वा्मिज्यू बजार जैर्यान्।
2 – कर्म पदबन्ध: उन आफत में फँस्या लोगो खन उपदेश दिन्यान्।
ख – प्रयोग के आधार पर:
1 – संज्ञा पदबन्ध: गप्प मान्र्य हौलदार सैप नै आ्य।
2 – सर्वनाम पदबन्ध: मुस देखिबेर डर्न्य आद्मि कि लड़्लो्?
2 – पदक्रमः
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया विशेषण तथा क्रिया के विभिन्न व्याकरणिक
रूपों अथवा पदबन्धों से वाक्य की रचना होती है। इनका वाक्य में जिस क्रम
से प्रयोग किया जाता है उसे पदक्रम कहते किया जाता है। इसी क्रम में सर्वनाम
कर्ता का प्रतिनिधित्व करते हैं। कुमैयाँ में सामान्यतः सबसे पहले कर्ता,फिर
कर्म, पूरक तथा अन्त में क्रिया का प्रयोग करते हैं। विशेषण और क्रिया विशेषण
कर्ता, कर्म, पूरक तथा क्रिया से पूर्व आकर उनकी विविध प्रकार की विशेषताओं
पर प्रकाश डालते हैंः
कर्ता $ अकर्मक क्रिया – आद्मि आछ।
कर्ता $ कर्म $ सकर्मक क्रिया – आद्मि स्कूल गौछ।
कर्ता $ कर्म $ एककर्मक क्रिया – आद्मि किताब पँड़््छ।
कर्ता $ कर्म $ कर्म $ द्विकर्मक क्रिया – आद्मि मास्टर खन किताब दिंछ।
कर्ता $ कर्म $ पूरक $ सकर्मक क्रिया – आद्मि लूँड खन किताब पँड़ूछ।