लोकगीत : अंगुष्ठ ग्रहण :
छोड़ो छोड़ो दूलह हमरि अंगुठिया
तुम परदेसन लोक ए
अब कैसे छोड़ंू गोरी तुमरि अंगुठिया
तुमरे बाबुल को बोल ए
छोड़ो छोड़ो दूलह हमरि अंगुठिया
तुम परदेसन लोक ए
अब कैसे छोड़ंू गोरी तुमरि अंगुठिया
तुमरे ककाज्यू को बोल ए
छोड़ो छोड़ो दूलह हमरि अंगुठिया
तुम परदेसन लोक ए
अब कैसे छोड़ंू गोरी तुमरि अंगुठिया
तुमरे ददाज्यू को बोल ए
छोड़ो छोड़ो दूलह हमरि अंगुठिया
तुम परदेसन लोक ए