गजल: हुआ जाता है
लोकतंत्र का सर बेताज हुआ जाता है
जैसा कल न हुआ वह आज हुआ जाता है
राजनीति में गंुडागर्दी का बुरा असर
रिसते हुए कोढ़ में खाज हुआ जाता है
पहले जिसे सोचना तलक गलत लगता था
वही आजकल आम रिवाज हुआ जाता है
पेड़ों के दुष्मन को कोई नहीं टोकता
हरदम मौसम से नाराज हुआ जाता है