कबीर वाणी:
राम:
भौत दिनान है चाणईं
बाट तुमा्र हे राम
हृदय मिलण हूं तरसणौ
मन कै न्हां बिस्राम
यो लाली म्यर लाल की
जां लै चां वा लाल
लाली द्यखन हुं मी गयूं
मि लै है गयूं लाल
कबिरा मन निर्मल भयो
जस्यैं गंगा नीर
पछिल पछिल हरि लागि रईं
कूण कबीर कबीर